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Aniruddh Shinde

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प्यार क्या है..

मैं सोचा करता था कि प्यार मन की मृगतृष्णा है है और सिर्फ एक विचार है जिसका कोई वजूद ही नहीं है, पर जब से तुझे देखा है मुझे तब से प्यार महसूस होने लगा है यह सच है, मृगतृष्णा नहीं यह ज्ञात है, इतना ही नहीं मुझे यह भी पता है वो प्यार दूसरी तरफ है तीसरे के पास कहीं नहीं तुम्हारे और मेरे दिल में रह रहा है और कही नहीं...
By:©Aniruddh Shinde
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प्यार क्या है.. -Quote

मैं सोचा करता था कि प्यार मन की मृगतृष्णा है है और सिर्फ एक विचार है जिसका कोई वजूद ही नहीं है, पर जब से तुझे देखा है मुझे तब से प्यार महसूस होने लगा है यह सच है, मृगतृष्णा नहीं यह ज्ञात है, इतना ही नहीं मुझे यह भी पता है वो प्यार दूसरी तरफ है तीसरे के पास कहीं नहीं तुम्हारे और मेरे दिल में रह रहा है और कही नहीं...



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