पिता का साया(Life) - Poem by Megha Nirwan - Spenowr
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Megha Nirwan

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Uttar Pradesh, India

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पिता का साया

18 जुलाई की रात थी लाई तूफान अपने साथ थी| आंखों में आंसुओं का सैलाब था| घर में सिर्फ मेरे आया यह तूफान था| बिखर गया हंसता खेलता परिवार हमारा| जब उठा सर पर से पिता का साया|
By: ©Megha Nirwan
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पिता का साया -Poem

18 जुलाई की रात थी लाई तूफान अपने साथ थी| आंखों में आंसुओं का सैलाब था| घर में सिर्फ मेरे आया यह तूफान था| बिखर गया हंसता खेलता परिवार हमारा| जब उठा सर पर से पिता का साया|



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